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पुनर्जीवन के महान दिन पर पुनर्जीवित लोगों पर एक बड़ी विपदा आएगी:
"…ईश्वर उन्हें उस दिन के लिए टाल रहा है, जिस दिन उनकी आँखें खुली रह जायेँगी (भय से)।" (क़ुरआन 14:42)
नास्तिक को उसकी 'कब्र' से इस तरह पुनर्जीवित किया जाएगा जैसा ईश्वर ने वर्णन किया है:
" उस दिन वे तेजी से कब्र से बाहर निकलेंगे, मानो वह एक खड़ी हुई मूर्ति की तरफ भागे जा रहे हैं। उनकी आँखें झुकी होंगी, और अपमान उन्हें ढक लेगा। उनसे इसी दिन का वायदा किया गया था।" (क़ुरआन 70:43-44)
उनका हृदय कांप रहा होगा, व्याकुल होगा यह सोचकर कि उनके साथ क्या बुरा होने वाला है:
"और (दूसरे) चेहरों पर, उस दिन, धूल होगी। उनपर कालिमा छाई होगी। वे नास्तिक हैं, दुष्ट लोग।" (क़ुरआन 80:40-42)
"और तुम कदापि ईश्वर को, उससे अचेत न समझो, जो अत्याचारी कर रहे हैं! वह तो उन्हें उस दिन के लिए टाल रहा है, जिस दिन आँखें खुली रह जायेँगी। वे दौड़ते हुए अपने सिर ऊपर किये हुए होंगे, उनकी आँखें उनकी ओर नहीं फिरेंगी और उनके दिल गिरे हुए होंगे।" (क़ुरआन 14:42)
ईश्वर को न मानने वालों को जिस हालत में वे पैदा हुए थे उसमें एकत्र किया जाएगा - नंगे और खतना विहीन- एक बड़े मैदान में, मुँह के बल, अंधे, बहरे, और गूंगे:
"हम उन्हें पुनर्जीवन के दिन एकत्र करेंगे मुँह के बल (गिरे हुए) – नेत्रहीन, गूंगे और बहरे। उनका आश्रय नरक होगा; जब भी कुछ कम होने लगेगी हम नरक की आग को और बढ़ा देंगे।" (क़ुरआन 17:97)
"और जो भी मेरी याद से निकल जाएगा – वाकई, वह एक निराश जीवन बिताएगा, और हम उसे पुनर्जीवन के दिन नेत्रहीन इकट्ठा करेंगे।" (क़ुरआन 20:124)
ईश्वर से वह 'तीन' बार मिलेंगे। पहली बार तब जब वे अपने आप को सर्वशक्तिमान ईश्वर के सामने अपने आपको बचाने के लिये व्यर्थ के तर्क देंगे, कुछ ऐसा कहेंगे: "पैगंबर हमारे पास आए ही नहीं !" हालांकि अल्लाह ने अपनी पुस्तक में लिखा है:
"…और हम कभी दंड नहीं देंगे जब तक हम कोई पैगंबर न भेजें।" (क़ुरआन 17:15)
"…वरना तुम कहोगे: ‘कोई हमारे पास खुशखबरी लेकर आया ही नहीं और कोई चेतावनी भी नहीं दी ..." (क़ुरआन 5:19)
दूसरी बार, वह अपनी गलती स्वीकार करेंगे लेकिन बहाने बनाएंगे। शैतान भी लोगों को बर्बाद करने के अपराध से बचने का प्रयत्न करते हैं:
"उसके साथी (शैतान) ने कहाः हे हमारे पालनहार! मैंने इसे कुपथ नहीं किया, परन्तु, वह स्वयं दूर के कुपथ में था।" (क़ुरआन 50:27)
परंतु सबसे महान और न्यायप्रिय ईश्वर इसे नही मानेंगे। वह कहेंगे:
"मुझसे बहस मत करो। मैंने इस खतरे से तुम्हें पहले ही आगाह कर दिया था। मेरा दिया हुआ दंड बदला नहीं जा सकता I और मैं गुलामों के प्रति अन्यायी (बिल्कुल) नहीं हूँ।" (क़ुरआन 50:28-29)
तीसरी बार वह चालाक आत्मा अपने निर्माता से अपने कर्मों की पुस्तक (एक कर्म लेख जिसमें कुछ भी नहीं छूटता) लेने के लिये मिलेगा [1]।
"और कर्म लेख (सामने) रख दिये जायेंगे, तो आप अपराधियों को देखेंगे कि उससे डर रहे हैं, जो कुछ उसमें (अंकित) है तथा कहेंगे कि हाय हमारा विनाश! ये कैसी पुस्तक है, जिसने किसी छोटे और बड़े कर्म को नहीं छोड़ा है, परन्तु उसे अंकित कर रखा है? और जो कर्म उन्होंने किये हैं, उन्हें वह सामने पायेंगे और आपका पालनहार किसी पर अत्याचार नहीं करेगा।" (क़ुरआन 18:49)
दुष्ट आत्माओं को जब कर्म लेख मिल जाएंगे, तो उन्हें समूची मानव जाति के सम्मुख फटकारा जाएगा।
"और उनको तुम्हारे मालिक के आगे पंक्तिबद्ध लाया जाएगा, (और वह कहेंगे), ‘तुम बिल्कुल वैसे ही हमारे सामने आए हो, जैसा हमने तुम्हें पहली बार बनाया था।’ लेकिन तुमने तो दावा किया कि तुम्हें कभी हमसे मिलना नहीं पड़ेगा!" (क़ुरआन 18:48)
पैगंबर मुहम्मद ने कहा: "ये वे हैं जो ईश्वर में विश्वास नहीं करते थे !"[2] और इन्हीं से ईश्वर प्रश्न करेगा कि उन्होंने ईश्वर के आशीर्वाद को अनावश्यक क्यों समझा। हर एक से पूछा जाएगा: ‘क्या तुमने सोचा था हम मिलेंगे?’ और जब हर कोई कहेगा: ‘नहीं !’ ईश्वर उनसे कहेगा: ‘मैं भी तुम्हें भूल जाऊँगा जैसे तुम मुझे भूल गए!’[3] तब, जब नास्तिक झूठ बोलकर बचने का प्रयास करेगा, ईश्वर उसका मुँह सीलबंद कर देगा, और उसके शरीर के अन्य भाग उसके विरुद्ध गवाही देंगे।
"उस दिन, हम उनके मुँह को सील कर देंगे, और उनके हाथ हमसे बात करेंगे, और उनके पैर हमें बताएंगे कि वह क्या करते थे।" (क़ुरआन 36:65)
अपने पापों के साथ साथ, नास्तिक उन दूसरे लोगों के पापों का भागीदार होगा जिनको उसने गुमराह किया।
"और जब उनसे पूछा जाये कि तुम्हारे पालनहार ने क्या उतारा है? तो कहते हैं कि पूर्वजों की कल्पित कथाएँ हैं। ताकि वे अपने (पापों का) पूरा बोझ प्रलय के दिन उठायें तथा कुछ उन लोगों का बोझ (भी), जिन्हें बिना ज्ञान के कुपथ कर रहे थे, सावधान! वे कितना बुरा बोझ उठायेंगे।" (क़ुरआन 16:24-25)
अभाव, अकेलापन और परित्याग का भावनात्मक दर्द शारीरिक पीड़ा देगा।
"…और ईश्वर पुनर्जीवन के दिन न उनसे बात करेंगे न उनकी ओर देखेंगे, वह उनका शुद्धिकरण भी नहीं करेंगे; और उनको कष्टदायक दंड मिलेगा।"
(क़ुरआन 3:77)
पैगंबर मुहम्मद आस्तिकों का पक्ष लेंगे, लेकिन नास्तिकों को कोई मध्यस्थ नहीं मिलेगा; उन्होंने केवल एक सच्चे ईश्वर के साथ गलत देवताओं की भी पूजा की।[4]
"…और गलत काम करने वालों को कोई रक्षक या सहायता करने वाला नहीं मिलेगा।" (क़ुरआन 42:8)
उनके संत और आध्यात्मिक सलाहकार अपने को अलग कर लेंगे और नास्तिक चाहेगा कि काश वह अपने पुराने जीवन में वापस आ जाएं और उनसे अपने को वैसे ही अलग कर लें जैसा कि उन्होंने अब उनके साथ किया है:
"तथा जो अनुयायी होंगे, वे ये कामना करेंगे कि एक बार और हम संसार में जाते, तो इनसे ऐसे ही विरक्त हो जाते, जैसे ये हमसे विरक्त हो गये हैं! ऐसे ही ईश्वर उनके कर्मों को उनके लिए संताप बनाकर दिखाएगा और वे अग्नि से निकल नहीं सकेंगे।" (क़ुरआन 2:167)
पाप ग्रसित आत्मा का दुख इतना गहरा होगा कि वह वाकई में यह प्रार्थना करेगा: ‘हे ईश्वर, मुझ पर दया करें और मुझे आग में डाल दें।’[5] उससे पूछा जाएगा: ‘क्या तुम्हारी इच्छा है कि तुम्हारे पास पृथ्वी जितना सोना होता ताकि उसे देकर तुम यहाँ से मुक्ति पा सकते?’ इसके उत्तर में वह कहेगा: ‘हाँ’ जिस पर उसे बताया जाएगा कि: ‘तुम्हें इससे कहीं अधिक सरल काम दिया गया था - केवल ईश्वर की पूजा करना।’[6]
"और उन्हें और कोई निर्देश नहीं दिया गया था सिवाय इसके कि वे [केवल] अल्लाह की पूजा करें, अपने ईमानदार धर्म (इस्लाम) के प्रति वफादार रहें..." (क़ुरआन 98:5)
"लेकिन नास्तिक – उनके काम रेगिस्तान में मृगतृष्णा की तरह हैं जिसे वह पानी समझते हैं, जब वे वहाँ जाते हैं वहाँ कुछ नहीं मिलता, लेकिन वह अपने सामने ईश्वर को पाते हैं, जो उन्हें उनका पूरा प्रतिदान देगा; और ईश्वर लेखा जोखा रखने में बहुत तत्पर हैं।" (क़ुरआन 24:39)
"और हम देखेंगे कि उन्होंने क्या काम किए हैं, और उन्हें ऐसे हटा देंगे जैसे धूल।" (क़ुरआन 25:23)
नास्तिक को तब पीछे से उसके बाएँ हाथ में, उसका लिखित लेखा जोखा दिया जाएगा जिसे देवदूतों ने बनाकर रखा था और उसके सांसारिक जीवन में उसके हर काम को लिखा करते थे।
"जहाँ तक उसकी बात है जिसे उसका कर्म लेख बाएँ हाथ में दिया गया है, वह कहेगा: ‘ओह, कितना अच्छा होता मुझे यह दस्तआवेज दिया ही नहीं जाता, और मुझे अपने लेख जोख का पता न चलता।" (क़ुरआन 69:25-26)
"जहाँ तक उसकी बात है जिसे उसका कर्म लेख पीठ पीछे से दिया गया है, वह अपने विनाश के लिये चिल्लाएगा।" (क़ुरआन 84:10-11)
अंत में, उसे नरक में प्रवेश कराया जाएगा:
"तथा जो अविश्वासी होंगे वो हाँके जायेंगे नरक की ओर झुण्ड बनाकर। यहाँ तक कि जब वे उसके पास आयेंगे, तो खोल दिये जायेंगे उसके द्वार तथा उनसे कहेंगे उसके रक्षक (स्वर्गदूत) क्या नहीं आये तुम्हारे पास रसूल तुममें से, जो तुम्हें सुनाते, तुम्हारे पालनहार के छंद तथा सचेत करते तुम्हें, इस दिन का सामना करने से? वे कहेंगेः क्यों नहीं? परन्तु, सिध्द हो गया यातना का शब्द, अविश्वासिओं पर।’' (क़ुरआन 39:71)
नरक में सबसे पहले मूर्तिपूजक जाएंगे, उसके बाद यहूदी और ईसाई जिन्होंने पैगंबरों के सच्चे धर्म को भ्रष्ट कर दिया।[7] कुछ नरक में ले जाए जाएंगे, कुछ उसमें गिर जाएंगे, और अंकुड़ा (हुक) से पकड़े जाएंगे।[8] इस समय नास्तिक की इच्छा होगी कि वह मिट्टी बन जाए, ताकि अपने बुरे कामों के कड़वे फल न भुगतने पड़ें।
"वाकई, हमने तुम्हें इस दिन दंड मिल सकने के बारे में आगाह किया था जब एक मनुष्य देखेगा कि उसके हाथ में क्या है और तब नास्तिक कहेगा: 'ओह, काश कि मैं मिट्टी होता!’ (क़ुरआन 78:40)
[1] इब्न मजाह, मसनद, और अल- तिर्मिज़ी
[2] सहीह मुस्लिम
[3] सहीह मुस्लिम
[4] सहीह अल -बुखारी
[5] तबरानी
[6] सहीह अल -बुखारी
[7] सहीह अल -बुखारी
[8] अल- तिर्मिज़ी
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