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क़ुरआन या पैगंबर मुहम्मद की बातों का कोई सटीक उल्लेख नहीं है जो नरक के स्थान को इंगित करते हैं। इसकी सही जगह ईश्वर के अलावा कोई नहीं जानता। कुछ भाषाई साक्ष्य और कुछ हदीसों के संदर्भ के कारण कुछ विद्वानों ने कहा है कि नरक आकाश में है, जबकि अन्य कहते हैं कि यह निचली धरती में है।
नरक बहुत बड़ा और बहुत गहरा है। इसे हम कई प्रकार से जानते हैं।
सबसे पहले, असंख्य लोग नरक में प्रवेश करेंगे, प्रत्येक, जैसा कि हदीस में वर्णित है, दाढ़ के दांतों के साथ जो की उहुद (मदीना में एक पहाड़) जितना बड़ा होगा।[1] इसके निवासियों के कंधों के बीच की दूरी को भी तीन दिन चलने के बराबर बताया गया है।[2] समय की शुरुआत से ही सभी अविश्वासी और पापी नरक मे जायेंगे और फिर भी उसमे जगह बची रहेगी। ईश्वर कहता है:
"जिस दिन हम नरक से कहेंगे: 'क्या तुम भरे हुए हो?' यह कहेगा, 'क्या आने के लिए और हैं?’" (क़ुरआन 50:30)
नरक की आग की तुलना एक चक्की से की जाती है जो हजारों टन अनाज पीसती है और फिर भी पीसने की प्रतीक्षा करती है।
दूसरा, नरक के ऊपर से फेंका गया पत्थर नीचे तक पहुंचने में बहुत लंबा समय लेगा। पैगंबर (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) के साथियों में से एक बताता है कि वे पैगंबर के साथ बैठे थे और कुछ गिरने की आवाज सुनी। पैगंबर ने पूछा कि क्या वे जानते हैं कि यह क्या था। जब उन्होंने कहा हमें इसका ज्ञान नहीं है, तो पैगंबर ने कहा:
"वह एक पत्थर था जिसे सत्तर साल पहले नरक में फेंका गया था और यह अब तक नरक के दूसरी तरफ पहुंचने के रास्ते मे है।"[3]
एक और विवरण बताता है:
"यदि सात गर्भवती ऊंटों जितना बड़ा एक पत्थर नरक के किनारे से फेंका जाता, तो वह सत्तर वर्ष तक उड़ता रहता, और फिर भी वह तल तक नहीं पहुंचता।"[4]
तीसरा, बहुत से स्वर्गदूत पुनरुत्थान के दिन नरक लाएंगे। ईश्वर इसके बारे मे कहता है :
"और नरक उस दिन निकट लाया जाएगा..." (क़ुरआन 89:23)
पैगंबर ने कहा:
"उस दिन सत्तर हजार रस्सियों के द्वारा नरक निकाला जाएगा, जिनमें से प्रत्येक रस्सी को सत्तर हजार स्वर्गदूतों ने पकड़ा होगा।"[5]
चौथा, एक और रिपोर्ट जो नरक के विशाल आकार को इंगित करती है वह यह है कि पुनरुत्थान के दिन सूर्य और चंद्रमा को नरक में लुढ़काया जाएगा। [6]
नरक में गर्मी और दंड के विभिन्न स्तर हैं, प्रत्येक को उनके अविश्वास और दंडित किए जाने वालों के पापों की सीमा के अनुसार आरक्षित किया गया है। ईश्वर कहता है:
"निश्चय ही पाखंडी लोग आग की सबसे निचली गहराई (स्तर) में होंगे।" (क़ुरआन 4:145)
नरक का स्तर जितना निचला होगा, गर्मी की तीव्रता उतनी ही अधिक होगी। चूंकि पाखंडियों को सबसे बुरी सजा भुगतनी होगी, इसलिए वे नरक के सबसे निचले हिस्से में होंगे।
ईश्वर क़ुरआन में नरक के स्तर को दर्शाता है:
"सभी के लिए जो उन्होंने किया उसके अनुसार स्तर के आधार पर (रैंक) किया जाएगा।" (क़ुरआन 6:132)
"तो क्या जिसने ईश्वर की प्रसन्नता का अनुसरण किया हो, उसके समान हो जायेगा, जो ईश्वर का क्रोध लेकर फिरा और उसका आवास नरक है? ईश्वर के पास उनकी श्रेणियाँ हैं तथा ईश्वर उसे देख रहा है, जो वे कर रहे हैं।" (क़ुरआन 3:162-163)
ईश्वर क़ुरआन में नरक के सात द्वारों की बात करते है:
"और वास्तव में, उन सबके लिए नरक का वचन है। इसके सात द्वार हैं, क्योंकि इनमें से प्रत्येक द्वार पापियों का एक वर्ग नियत किया गया है।" (क़ुरआन 15:43-44)
प्रत्येक द्वार में शापित लोगों का एक आवंटित हिस्सा होता है जिसके माध्यम से वो प्रवेश करेंगे। प्रत्येक अपने कर्मों के अनुसार प्रवेश करेगा और उसके अनुसार नरक का स्तर निर्धारित किया जायेगा। जब अविश्वासियों को नरक में लाया जाएगा, तो उसके द्वार खुल जाएंगे, वे उसमें प्रवेश करेंगे, और उसमें हमेशा के लिए रहेंगे:
"जो अविश्वासी हैं उन्हें नरक की ओर झुंड बनाकर हांका जायेगा। यहां तक कि जब वे उसके पास आयेंगे, तो खोल दिये जायेंगे उसके द्वार तथा उनसे कहेंगे उसके रक्षक, क्या नहीं आये तुम्हारे पास दूत तुममें से, जो तुम्हें तुम्हारे पालनहार के छंद सुनाते तथा सचेत करते तुम्हें, इस दिन का सामना करने से? वे कहेंगेः क्यों नहीं? परन्तु, सिध्द हो गया यातना का शब्द अविश्वासिओं पर।’" (क़ुरआन 39:71)
उन्हें प्रवेश के बाद बताया जाएगा:
"कहा जायेगा कि प्रवेश कर जाओ नरक के द्वारों में, सदावासी होकर उसमें। तो बुरा है घमंडियों का निवास स्थान।" (क़ुरआन 39:72)
फाटक बन्द कर दिये जायेंगे और बचने की कोई आशा नहीं रहेगी जैसा कि ईश्वर कहता है:
"लेकिन जो लोग हमारे छंदो को झुठलाते हैं, यही लोग दुर्भाग्य (बायें हाथ वाले) हैं। ऐसे लोग, हर ओर से आग में घिरे होंगे। [7]" (क़ुरआन 90:19-20)
इसके अलावा, ईश्वर क़ुरआन मे कहता है:
"हर ताना देने वाले चुग़लख़ोर की ख़राबी है, जिसने धन एकत्र किया और उसे गिन-गिन कर रखा। क्या वह समझता है कि उसका धन उसे संसार में सदा रखेगा। कदापि ऐसा नहीं होगा। वह अवश्य ही 'ह़ुतमा' में फेंका जायेगा। और तुम क्या जानो कि 'ह़ुतमा' क्या है? यह ईश्वर की भड़काई हुई अग्नि है, (शाश्वत) ईंधन, जो दिलों पर निर्देशित है। वह, उसमें बन्द कर दिये जायेंगे, लँबे-लँबे स्तंभों में।" (क़ुरआन 104:1-9)
क़यामत के दिन से पहले नरक के दरवाज़े भी बंद कर दिए जाते हैं। इस्लाम के पैगंबर ने उन्हें रमजान के महीने में बंद होने की बात कही। [8]
ईश्वर कहते हैं पत्थर और जिद्दी अविश्वासी नरक का ईंधन बनते हैं:
"ऐ विश्वास करने वालो, खुद को और अपने परिवार को उस आग से बचाओ जिसका ईंधन लोग और पत्थर हैं..." (क़ुरआन 66:6)
"...तो उस आग से डरो, जिसका ईधन आदमी और पत्थर हैं, जो अविश्वासीओ के लिए तैयार किया गया है।" (क़ुरआन 2:24)
नरक के लिए ईंधन का एक अन्य स्रोत वे देवताओ के मूर्ति होंगे जिनकी पूजा ईश्वर के अलावा की जाती थी:
"निश्चय तुम सब तथा तुम जिन मूर्तियों को पूज रहे हो ईश्वर के अतिरिक्त, नरक के ईंधन हैं, तुम सब वहाँ पहुँचने वाले हो। यदि वे वास्तव में पूज्य होते, तो नरक में प्रवेश नहीं करते और प्रत्येक उसमें सदावासी होंगे।" (क़ुरआन 21:98-99)
ईश्वर हमें बताते है कि नरक के लोगों का पहनावा उनके लिए तैयार किए गए अग्नि के वस्त्र होंगे:
"…पर वह जो अविश्वास करेंगे उनके लिए रहेगा अग्नि का वस्त्र। उनके सिर पर उंडेल दिया जाएगा, वह खौलता हुआ पानी।" (क़ुरआन 22:19)
"और तुम उन अपराधियों को उस दिन बेड़ियों में बँधे हुए देखोगे, उनके कपड़े (पिघले हुए तांबे) के कपड़े और उनके चेहरे आग से ढके हुए हैं।" (क़ुरआन 14:49-50)
[1] सहीह मुस्लिम
[2] सहीह मुस्लिम
[3] मिश्कत
[4] सहीह अल-जमी
[5] सहीह मुस्लिम
[6] मुशकल अल-आथर, बज़ार, बैहाकी और अन्य में तहवी।
[7] इब्न अब्बास ('तफ़सीर इब्न कथिर') की व्याख्या के आधार पर।
[8] तिर्मिज़ी।
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