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निर्माण की कहानी (2 का भाग 1)

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विवरण: इस्लामी ब्रह्मांड विज्ञान के दृष्टिकोण से सृष्टि की उत्पत्ति की महान कहानी, यह स्वीकार करते हुए कि ईश्वर हर चीज का निर्माता है। लेख में शानदार सिंहासन, पावदान और कलम के बारे में भी बताया गया है।

  • द्वारा Imam Mufti (© 2016 IslamReligion.com)
  • पर प्रकाशित 04 Nov 2021
  • अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
  • मुद्रित: 0
  • देखा गया: 1452 (दैनिक औसत: 3)
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सब कुछ ईश्वर ने बनाया है

तो यह सब कैसे शुरू हुआ? ईश्वर, और कुछ नहीं। इस्लाम के पैगंबर (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) से पूछा गया, "हे ईश्वर के दूत, अपनी रचना करने से पहले हमारा ईश्वर कहां था?" उन्होंने कहा: "उनके सिवा कुछ भी नहीं था, उनके नीचे कुछ नहीं था और उनके ऊपर भी कुछ नहीं था।"[1]

सोचो यह कितना अद्भुत है, इससे मूल रूप से हमें पता चलता है कि ईश्वर के अलावा कुछ भी नहीं है जो वास्तव में योग्य है; सृष्टि को ईश्वर के सिवा किसी की आवश्यकता नहीं क्योंकि शुरुआत में ईश्वर था जबकि और कुछ नहीं था।

ईश्वर क़ुरआन मे कहता है:

"ईश्वर ही प्रत्येक वस्तु का पैदा करने वाला तथा वही प्रत्येक वस्तु का रक्षक है।" (क़ुरआन 39:62)

तो ईश्वर को छोड़कर सब कुछ उसी ने बनाया है, और सब कुछ उसके प्रभुत्व और नियंत्रण के अधीन है, और वही इसे अस्तित्व में लाया।

पैगंबर मुहम्मद के समकालीन जुबैर ने खुद के बारे में बताते हुए कहा, "मैं पैगंबर के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक था," और उसने कहा, "मैं उनसे इतनी नफरत करता था जितनी इस धरती पर किसी भी अन्य इंसान से नही करता था," लेकिन फिर कुछ अजीब हुआ। "एक बार जब मैं मस्जिद में गया और मैंने पैगंबर को सूरह अत-तूर के छंद (क़ुरआन 52:35-36) को पढ़ते हुए सुना, 'क्या वे पैदा हो गये हैं बिना किसी के पैदा किये अथवा वे स्वयं पैदा करने वाले हैं? या उन्होंने ही उत्पत्ति की है आकाशों तथा धरती की? बल्कि उन्हें बिल्कुल पता नहीं है, वे भ्रम में हैं!'"

जुबैर ने कहा कि उस समय जब पैगंबर ने ये पढ़ा (भले ही उसने आधिकारिक तौर पर बाद में इस्लाम स्वीकार किया) तो "मेरे दिल मे विश्वास आ गया। मैं उस समय जान गया कि ऐसा हो ही नही सकता की ईश्वर न हो!"

यदि आप अकेले बैठ के सोचें कि हम और हमारे आस-पास की हर चीज को किसने बनाया है और सभी संभावनाओं को खत्म कर दें, तो आप पाएंगे कि इसे बनाने वाला ईश्वर के सिवा कोई और नही है।

जल, सिंहासन (अर्श) और पावदान (कुर्सी) का निर्माण

पैगंबर मुहम्मद ने कहा: "ईश्वर के सिवा कुछ भी नहीं था, उनके नीचे कुछ नहीं था और उनके ऊपर भी कुछ नहीं था। फिर उन्होंने पानी के ऊपर अपना सिंहासन बनाया।"[2]

पैगंबर ने हमें बताया कि पहले ईश्वर था और कुछ नहीं। फिर ईश्वर ने जल और सिंहासन (अर्श) बनाया। ये बिना किसी स्वर्गदूत के बनाए गए थे और आकाश और पृथ्वी के निर्माण से पहले बनाए गए थे। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "ईश्वर था, और उनके सिवा कुछ नहीं था, और उनका सिंहासन पानी के ऊपर था। उन्होंने किताब में सब कुछ लिखा (स्वर्ग में) और उन्होंने आकाश और पृथ्वी का निर्माण किया।"[3]

ईश्वर ने क़ुरआन में कई बार उल्लेख किया है कि वह गौरवशाली सिंहासन का स्वामी है, क्योंकि यह उनकी रचनाओं में सबसे प्रमुख और सबसे शानदार है।   

कुर्सी एक पावदान है जो सिंहासन के लिए एक सीढ़ी की तरह है और ईश्वर सिंहासन के ऊपर हैं, फिर भी उनसे कुछ भी छिपा नहीं है। क़ुरआन का सबसे महान छंद जिसे अरबी में आयत अल कुर्सी  या "पावदान की आयत" कहते हैं, अपने पावदान का उल्लेख करने से पहले ईश्वर अपने ज्ञान का उल्लेख करता है।" (क़ुरआन 2:255)।

सिर्फ ईश्वर की कुर्सी, पावदान, ने ही सारे आकाश और धरती को समाया हुआ है (क़ुरआन 2:255)। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "सिंहासन की तुलना में पावदान एक खुले रेगिस्तान में फेंके गए लोहे की अंगूठी से ज्यादा कुछ नही है।" [4] इसके अलावा, इब्न अब्बास ने कहा कि अगर कुर्सी, पावदान, पूरे आकाश और धरती को समाये हुए है, तो सिंहासन की बात ही क्या होगी? हमें इस बात का बिल्कुल भी ज्ञान नही है कि आकार में सिंहासन कितना बड़ा है और स्पष्ट रूप से हम स्वयं ईश्वर की महानता का अनुमान नहीं लगा सकते हैं।

ईश्वर हमसे दूर नही है; वह पूरे क़ुरआन में कहता है कि हम जहां भी हों वह हमारे साथ है। सूरह अल-हदीद (अध्याय 57) में, ईश्वर के ये कहने के बाद कि वह बैठ गया सिंहासन पर, ईश्वर कहता है कि वह सब कुछ जानता है जो प्रवेश करता है धरती में, जो निकलता है उससे, जो उतरता है आकाश से तथा चढ़ता है उसमें , संक्षेप में, वह हर चीज का सूक्ष्मतम विवरण जानता है (क़ुरआन 57:4)। हम जानते हैं कि ईश्वर अपने सिंहासन के ऊपर है, और वह सर्वशक्तिमान है और उसे सब कुछ का ज्ञान है।

इसके अलावा, ईश्वर ने सिंहासन को ढोने वाले महान स्वर्गदूतों के बारे में बताया है। वे ईश्वर के सबसे अच्छे स्वर्गदूतों में से विशाल शानदार प्राणी हैं। ईश्वर हमें बताता है कि न्याय के दिन आठ स्वर्गदूत होंगे जो उसके सिंहासन को उठाएंगे (क़ुरआन 69:17)। पैगंबर ने कहा, "मुझे सर्वशक्तिमान ईश्वर के स्वर्गदूतों में से एक के बारे में बताने की अनुमति है, जो सिंहासन को उठाने वालों मे से एक है और ये कि उसके कान और उसके कंधे के बीच की दूरी सात सौ साल की यात्रा के बराबर है" (अबू दाऊद)। यह कहने के साथ यह भी बताया गया था कि, "यह दूरी एक पक्षी के सात सौ साल तक उड़ने के बराबर है" (इब्न अबी 'आसिम)।

वे स्वर्गदूत क्या कर रहे हैं?

ईश्वर ने हमें बताया है कि जो स्वर्गदूत उसके सिंहासन को ढोते हैं और उसके आस-पास के अन्य स्वर्गदूत उसका गुणगान करते हैं, उस पर विश्वास करते हैं और विश्वास करने वालों के लिए क्षमा मांगते हैं। वे उनके लिए यह कहते हुए प्रार्थना करते हैं कि "हमारे ईश्वर, आपने दया और ज्ञान में सभी चीजों को शामिल किया है, इसलिए उन लोगों को क्षमा करें जिन्होंने पश्चाताप किया है और आपके मार्ग का अनुसरण किया है और उन्हें नरक की सजा से बचा लें।" (क़ुरआन 40:7)

वे ईश्वर की महिमा कर रहे हैं और घोषणा कर रहे हैं कि ईश्वर पूर्ण है और बता रहे हैं कि ईश्वर सिंहासन से स्वतंत्र है और सिंहासन ढोने वालों से भी स्वतंत्र है। ईश्वर को सिंहासन की आवश्यकता नहीं है; ईश्वर को सिंहासन ढोने वालों की भी आवश्यकता नही है।

कलम

जल और सिंहासन के निर्माण के बाद, ईश्वर ने कलम की रचना की। जब पैगंबर कहते हैं कि ईश्वर ने कलम बनाई, तो वे कहते हैं कि उनका सिंहासन पानी पर था, और ये कि ईश्वर के सिंहासन के नीचे पानी की एक परत थी।

"ईश्वर ने स्वर्ग और पृथ्वी की रचना करने से पचास हजार साल पहले सृष्टि के उपायों को निर्धारित किया था, जबकि उनका सिंहासन पानी के ऊपर था।" [5]

कलम का आकार क्या है? ये कैसा दिखाई देता है? हमें इसके बारे में बिल्कुल भी पता नही है।

पैगंबर ने कहा, "ईश्वर ने कलम से कहा: 'लिखो।' कलम ने कहा: 'हे ईश्वर, मैं क्या लिखूं?' उन्होंने कहा: 'जब तक समय शुरू नहीं हो जाता, तब तक सभी चीजों के नियमों को लिखो।'"[6]



फुटनोट:

[1] तिर्मिज़ी, अबू दाउद। तबरी द्वारा सहीह और तिर्मिज़ी, दहबी और इब्न तैमियाह द्वारा हसन के रूप में वर्गीकृत

[2] तिर्मिज़ी, इब्न माजा

[3] सहीह अल-बुखारी

[4] तफ़सीर तबरी

[5] सहीह मुस्लिम

[6] अबू दाऊद

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