요청한 문서 / 비디오는 아직 존재하지 않습니다.

The article/video you have requested doesn't exist yet.

המאמר / הסרטון שביקשת אינו קיים עדיין.

The article/video you have requested doesn't exist yet.

요청한 문서 / 비디오는 아직 존재하지 않습니다.

The article/video you have requested doesn't exist yet.

המאמר / הסרטון שביקשת אינו קיים עדיין.

The article/video you have requested doesn't exist yet.

परलोक की यात्रा (8 का भाग 2): कब्र में आस्तिक

रेटिंग:
फ़ॉन्ट का आकार:

विवरण: सच्चे आस्तिकों के लिये मृत्यु और न्याय के दिन के बीच कब्र में बीतने वाले समय का विवरण।

  • द्वारा Imam Mufti (co-author Abdurrahman Mahdi)
  • पर प्रकाशित 04 Nov 2021
  • अंतिम बार संशोधित 04 Nov 2021
  • मुद्रित: 0
  • देखा गया: 3028 (दैनिक औसत: 6)
  • रेटिंग: अभी तक रेटिंग नहीं दी गई है
  • द्वारा रेटेड: 0
  • ईमेल किया गया: 0
  • पर टिप्पणी की है: 0

कब्र की दुनिया

अब हम मृत्यु के बाद आत्मा की होने वाली यात्रा के बारे में थोड़ा जानेंगे। यह सच में बहुत आश्चर्यजनक कथा है, क्योंकि पहली बात तो यह सच है और दूसरे हम सबको यह यात्रा करनी है। इस यात्रा के बारे में हमारे पास जो भी जानकारी है उसकी गहराई, उसकी बारीकी और विस्तार, इस बात का पक्का संकेत हैं कि मुहम्मद सच में मानवता के लिये ईश्वर के अंतिम पैगंबर थे। उनके मालिक ने जो ज्ञान उन्हें दिया और फिर पैगंबर ने वह हमको बताया, वह मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में जितना स्पष्ट है उतना ही विस्तृत भी है। इस ज्ञान में झाँकने का आरंभ हम उस यात्रा के बारे में थोड़ी जानकारी लेने से करेंगे, जो एक आस्तिक की आत्मा मृत्यु के क्षण से स्वर्ग में विश्राम लेने तक करती है।

जब एक आस्तिक इस संसार को छोड़ने लगता है, तब सफ़ेद स्वर्गदूत स्वर्ग से उतरते हैं और कहते हैं:

"ओ शांत आत्मा, ईश्वर की क्षमा पाने और उसका आशीर्वाद लेने के लिये बाहर आओ।" (हकीम और अन्य)

आस्तिक तब अपने निर्माता से मिलने का इच्छुक हो जाएगा, जैसा कि पैगंबर (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) ने समझाया:

"...जब एक आस्तिक की मृत्यु का समय पास आता है, तो उसे अच्छा समाचार मिलता है कि ईश्वर उसके लिये प्रसन्न हैं और उनका आशीर्वाद उसके साथ है, और उस समय भविष्य में उसके साथ जो होने वाला है उसके अतिरिक्त उसे और कुछ अच्छा नहीं लगता। उसे ईश्वर से होने वाले मिलन की बेहद खुशी होती है, और ईश्वर को उससे मिलने की।" (सहीह अल-बुखारी)

आत्मा शांतिपूर्वक शरीर से बाहर आ जाती है जैसे मशक से पानी की एक बूंद बाहर आ जाती है, और तब स्वर्गदूत उसे थाम लेते हैं:

स्वर्गदूत धीरे से उसे निकाल लेते हैं, यह कहते हुए:

"...डरो नहीं और दुखी मत हो, और स्वर्ग की जिन सुविधाओं का तुमसे वायदा किया गया था उन्हें स्वीकार करो। इस सांसारिक जीवन में हम तुम्हारे साथ थे और (वैसे ही) यहाँ से आगे भी हैं, और यहाँ से जाने के बाद तुम्हें वह सब कुछ मिलेगा जिसकी तुम्हारी आत्मा इच्छा करेगी, और तुम जिस भी सुविधा के लिये प्रार्थना [या इच्छा] करोगे तुम्हें मिलेगा, उस क्षमावान और दयालु शक्ति के आथित्य के तौर पर।" (क़ुरआन 41:30-32)

शरीर से बाहर निकालने के बाद, स्वर्गदूत आत्मा को कस्तूरी से सुगंधित चादर में लपेट लेते हैं और स्वर्ग के लिये उड़ जाते हैं। जैसे ही स्वर्ग के दरवाजे आत्मा के लिये खुलते हैं, दूसरे स्वर्गदूत उसका स्वागत करते हैं:

"पृथ्वी से एक अच्छी आत्मा आई है, ईश्वर आपको और आपके शरीर को जिसमें आप रहते थे, आशीर्वाद देते हैं।"

...जीवन में जिस सर्वश्रेष्ठ नाम से उसे बुलाया जाता था उस नाम से उसका परिचय कराया जाता है। ईश्वर अपनी "किताब" में वह लिखने का आदेश देते हैं, और आत्मा फिर पृथ्वी पर वापस लौटा दी जाती है।

आत्मा तब कब्र में, जिसे बरजख कहते हैं, न्याय दिवस की प्रतीक्षा में शांत पड़ी रहती है। दो भयानक, डरावने स्वर्गदूत जिनका नाम मुनकर और नकीर होता है, आत्मा से उसके धर्म, ईश्वर और पैगंबर के बारे में पूछने उसके पास आते हैं। जैसे ही ईश्वर, स्वर्गदूतों को पूरे विश्वास और निश्चितता से उत्तर देने के लिये आत्मा को शक्ति प्रदान करते हैं, आस्तिक की आत्मा सीधी बैठ जाती है।[1]

मुनकर और नकीर: "तुम्हारा धर्म कौन सा है?"

आस्तिक आत्मा: "इस्लाम।"

मुनकर और नकीर: "तुम्हारा मालिक कौन है?"

आस्तिक आत्मा: "अल्लाह।"

मुनकर और नकीर: "तुम्हारा पैगंबर कौन है?" ( या तुम इस व्यक्ति के बारे में क्या जानते हो?")

आस्तिक आत्मा: "मुहम्मद।"

मुनकर और नकीर: "तुम्हें इन बातों का कैसे पता चला?"

आस्तिक आत्मा: "मैंने अल्लाह की किताब पढ़ी (अर्थात क़ुरआन) और मैंने विश्वास किया।"

तब, जब आत्मा परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाती है, तो स्वर्ग से एक आवाज़ आती है:

"मेरे सेवक ने सत्य कहा है, इसे स्वर्ग की सुविधाएँ दी जाएँ, स्वर्ग से कपड़े दिए जाएँ, और इसके लिये स्वर्ग का एक द्वार खोल दिया जाए।"

आस्तिक की कब्र में और जगह बनाई जाती है और उसमें प्रकाश भर दिया जाता है। उसको दिखाया जाता है कि अगर वह एक दुष्ट पापी होता तो नरक में उसका घर कैसा होता, और फिर रोज़ सुबह और शाम एक झरोखा उसके लिये खोला जाता है जिसमें स्वर्ग में उसका असली घर दिखाया जाता है। उत्तेजित होकर और हर्ष के अतिरेक से, आस्तिक पूछता रहेगा: 'वह घड़ी (फिर से पुनर्जीवित हो जाने की) कब आएगी?! वह घड़ी कब आएगी?!' जब तक कि उसे शांत रहने के लिये नहीं कह दिया जाता।[2]



फ़ुटनोट:

[1] मुसनाह अहमद

[2] अल-तिर्मिज़ी

इस लेख के भाग

सभी भागो को एक साथ देखें

टिप्पणी करें

इसी श्रेणी के अन्य लेख

सर्वाधिक देखा गया

प्रतिदिन
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
कुल
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

संपादक की पसंद

लेख की सूची बनाएं

आपके अंतिम बार देखने के बाद से
यह सूची अभी खाली है।
सभी तिथि अनुसार
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)

सबसे लोकप्रिय

सर्वाधिक रेटिंग दिया गया
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
सर्वाधिक ईमेल किया गया
सर्वाधिक प्रिंट किया गया
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
(और अधिक पढ़ें...)
इस पर सर्वाधिक टिप्पणी की गई

आपका पसंदीदा

आपकी पसंदीदा सूची खाली है। आप लेख टूल का उपयोग करके इस सूची में लेख डाल सकते हैं।

आपका इतिहास

आपकी इतिहास सूची खाली है।

View Desktop Version