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इस्लाम सिखाता है कि नरक उन लोगों के लिए ईश्वर द्वारा तैयार किया गया एक वास्तविक स्थान है जो उन पर विश्वास नहीं करते हैं, उनके कानूनों के खिलाफ विद्रोह करते हैं और उनके दूतों को अस्वीकार करते हैं। नरक एक वास्तविक स्थान है, केवल मन की अवस्था या आध्यात्मिक इकाई नहीं है। भयावहता, दर्द, पीड़ा और दंड सभी वास्तविक हैं, लेकिन प्रकृति में उनके सांसारिक समकक्षों की तुलना में भिन्न हैं। नरक परम अपमान और हानि है, और इससे बुरा कुछ नहीं है:
"हे हमारे पालनहार! तूने जिसे नरक में झोंक दिया, उसे अपमानित कर दिया और अत्याचारियों का कोई सहायक न होगा।" (क़ुरआन 3:192)
"क्या वे नहीं जानते कि जो ईश्वर और उसके रसूल (मुहम्मद) का विरोध करता है, उसके लिए नरक की अग्नि है, जिसमें वे सदावासी होंगे और ये बहुत बड़ा अपमान है।" (क़ुरआन 9:63)
इस्लामी ग्रंथों में नरक की आग के अलग-अलग नाम हैं। प्रत्येक नाम का एक अलग विवरण है। इसके कुछ नाम हैं:
जहीम - आग - इसकी धधकती आग के कारण।
जहन्नम - नरक - अपने गड्ढे की गहराई के कारण।
लधा - धधकती आग - इसकी लपटों के कारण।
सईर - धधकती लौ - क्योंकि यह जलती और प्रज्वलित होती है।
सकर - इसकी गर्मी की तीव्रता के कारण।
हतामाह - टूटे हुए टुकड़े या मलबा - क्योंकि यह हर उस चीज को तोड़ता और कुचलता है जो उसमें डाली जाती है।
हाविया - खाई या रसातल - क्योंकि जो इसमें डाला जाता है वह ऊपर से नीचे की ओर फेंका जाता है।
नरक वर्तमान समय में मौजूद है और हमेशा के लिए मौजूद रहेगा। वह कभी न शेष होगा, और उसके निवासी सदा उस में रहेंगे। कोई भी नरक से बाहर नहीं आएगा पापी विश्वासियों को छोड़कर, जो इस जीवन में ईश्वर की एकता में विश्वास करते थे और उन्हें भेजे गए विशिष्ट पैगंबर (मुहम्मद के आने से पहले) में विश्वास करते थे। बहुदेववादी और अविश्वासी इसमें हमेशा के लिए निवास करेंगे। यह विश्वास शास्त्रीय काल से रहा है और क़ुरआन के स्पष्ट छंदों और इस्लाम के पैगंबर की पुष्टि की गई विवरणों पर आधारित है। क़ुरआन भूतकाल में नरक की बात करता है और कहता है कि इसे पहले ही बनाया जा चुका है:
"और उस आग से डरो जो अविश्वासियों के लिए तैयार की गई है।" (क़ुरआन 3:131)
इस्लाम के पैगंबर ने कहा:
"जब तुम में से किसी की मृत्यु हो जाती है, तो उसे सुबह और शाम उसकी स्थिति (परलोक में) दिखाई जाती है। अगर वह स्वर्ग वालों में से एक है तो उसे स्वर्ग वालों की जगह दिखा दी जाती है। यदि वह नरक के लोगों में से एक है, तो उसे नरक के लोगों का स्थान दिखाया जाता है। उसे बताया जाता है, 'यह आपकी स्थिति है, जब तक कि पुनरुत्थान के दिन ईश्वर आपको पुनर्जीवित नहीं करते।" (सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम)
एक और विवरणमें, पैगम्बर ने कहा:
"निश्चय ही ईमानवाले की आत्मा स्वर्ग के वृक्षों पर लटका पक्षी है, जब तक कि पुनरुत्थान के दिन ईश्वर उसे उसके शरीर में वापस न कर दे।" (मुवत्ता ऑफ़ मलिक)
ये ग्रंथ यह स्पष्ट करते हैं कि नरक और स्वर्ग मौजूद हैं, और पुनरुत्थान के दिन से पहले आत्माएं उनमें प्रवेश कर सकती हैं। नरक की अनंतता की बात करते हुए ईश्वर कहता है:
"वे आग को छोड़ने के लिए तरसेंगे, लेकिन वे वहां से कभी नहीं निकलेंगे; और उनकी सदा की पीड़ा होगी।" (क़ुरआन 5:37)
"... और वे आग से कभी नहीं निकलेंगे।" (क़ुरआन 2:167)
"निस्सन्देह, जिन्होंने विश्वास नही किया और कुकर्म किया; ईश्वर उन्हें क्षमा नही करेगा, और न ही वह उन्हें नरक के रास्ते के अलावा किसी भी तरह से मार्गदर्शन नही करेगा, जिसमें वह हमेशा के लिए निवास करेंगे।" (क़ुरआन 4:168-169)
"निश्चय ही ईश्वर ने अविश्वासियों को शाप दिया है, और उनके लिए एक धधकती हुई आग तैयार की है जिसमें वे सदा रहेंगे।" (क़ुरआन 33:64)
"और जो कोई ईश्वर और उसके रसूल की अवज्ञा करेगा, तो निश्चय ही उसके लिए नरक की आग है, वह उसमें सदा वास करेगा।" (क़ुरआन 72:23)
पराक्रमी और कठोर देवदूत नरक के ऊपर खड़े होते हैं जो कभी भी ईश्वर की अवज्ञा नहीं करते हैं। वे ठीक वैसा ही करते हैं जैसा कि आदेश दिया गया है। ईश्वर कहता है:
"हे विश्वास करने वालों, बचाओ अपने आपको तथा अपने परिजनों को उस अग्नि से, जिसका ईंधन मनुष्य तथा पत्थर होंगे। जिसपर स्वर्गदूत नियुक्त हैं कड़े दिल, कड़े स्वभाव वाले। वे अवज्ञा नहीं करते ईश्वर के आदेश की तथा वही करते हैं, जिसका आदेश उन्हें दिया जाये।" (क़ुरआन 66:6)
नरक के उन्नीस रखवाले हैं जैसा कि ईश्वर कहता है:
"मैं उसे शीघ्र ही नरक में झोंक दूँगा। और आप क्या जानें कि नरक क्या है? न शेष रखेगी और न छोड़ेगी! वह खाल झुलसा देने वाली! इसके ऊपर उन्नीस (नरक के रखवाले के रूप में स्वर्गदूत) हैं।" (क़ुरआन 74:26-30)
किसी को यह नहीं सोचना चाहिए कि नरक के निवासी नरक के रखवालों पर विजय प्राप्त कर सकेंगे क्योंकि उनमें केवल उन्नीस ही हैं। उनमें से प्रत्येक के पास पूरी मानवता को अपने आप वश में करने की शक्ति है। क़ुरआन में इन फरिश्तों को ईश्वर ने नरक का रक्षक कहा है:
"और जो आग में हैं वे नरक के पहरेदारों से कहेंगे, 'अपने रब को पुकारो कि वह हमारे लिए एक दिन की यातना को हल्का कर दे!’" (क़ुरआन 40:49)
नरक की रखवाली करने वाले मुख्य दूत का नाम मलिक है, जैसा कि क़ुरआन में उल्लेख किया गया है:
" निःसंदेह अपराधी नरक की यातना में सदावासी होंगे। (अत्याचार) उनके लिए हल्का नहीं किया जाएगा, और वे गहरे पछतावे, दुखों और निराशा में डूबे रहेंगे। हमने उनके साथ अन्याय नहीं किया, लेकिन वे गलत काम करने वाले थे। और वे पुकारेंगे: 'ऐ मलिक! अपने रब को हमारा अंत करने दो' वह कहेगा: 'निश्चय, तुम सदा यहां उपस्थित रहोगे।' वास्तव में हम तुम्हारे लिए सत्य लाए थे, लेकिन तुम में से अधिकांश सत्य से घृणा करते थे" (क़ुरआन 43:74-78)
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