Статьи / видео вы запросили еще не существует.
The article/video you have requested doesn't exist yet.
O artigo / vídeo que você requisitou não existe ainda.
The article/video you have requested doesn't exist yet.
L'articolo / video che hai richiesto non esiste ancora.
The article/video you have requested doesn't exist yet.
요청한 문서 / 비디오는 아직 존재하지 않습니다.
The article/video you have requested doesn't exist yet.
המאמר / הסרטון שביקשת אינו קיים עדיין.
The article/video you have requested doesn't exist yet.
Статьи / видео вы запросили еще не существует.
The article/video you have requested doesn't exist yet.
O artigo / vídeo que você requisitou não existe ainda.
The article/video you have requested doesn't exist yet.
L'articolo / video che hai richiesto non esiste ancora.
The article/video you have requested doesn't exist yet.
요청한 문서 / 비디오는 아직 존재하지 않습니다.
The article/video you have requested doesn't exist yet.
המאמר / הסרטון שביקשת אינו קיים עדיין.
The article/video you have requested doesn't exist yet.
यीशु की कहानी के संबंध में, क़ुरआन वर्णन करता है कि कैसे यीशु की माता मरियम से ईश्वर के एक दूत ने संपर्क किया था, जिससे उसने कभी कल्पना नहीं की थी कि वह एक पुत्र, एक मसीह को जन्म देगी, जो कि धर्मी और ईश्वर का पैगंबर होगा। जो इस्राईल के लोगों (इस्राएलियों) को ईश्वर के सीधे मार्ग पर बुलाएगा।
"जब स्वर्गदूतों ने कहाः हे मरयम! ईश्वर तुझे अपने एक शब्द की शुभ सूचना दे रहा है, जिसका नाम मसीह़ ईसा पुत्र मरयम होगा। वह लोक-प्रलोक में प्रमुख तथा ईश्वर के समीपवर्तियों में होगा। वह लोगों से गोद में तथा अधेड़ आयु में बातें करेगा और सदाचारियों में होगा।” (क़ुरआन 3:45-46)
स्वाभाविक रूप से, मरियम के लिए, यह खबrर अजीब और असंभव प्रतीत होने वाली थी।
"मरयम ने (आश्चर्य से) कहाः मेरे पालनहार! मुझे पुत्र कहाँ से होगा, मुझे तो किसी पुरुष ने हाथ भी नहीं लगाया है? स्वर्गदूत ने कहाः इसी प्रकार ईश्वर जो चाहता है, उत्पन्न कर देता है। जब वह किसी काम के करने का निर्णय कर लेता है, तो उसके लिए कहता है किः "हो जा", तो वह हो जाता है। और ईश्वर उसे पुस्तक तथा प्रबोध और तौरात तथा इंजील की शिक्षा देगा।” (क़ुरआन 3:47-48)
यीशु का स्वभाव इतना खास है, कि ईश्वर अपनी सृष्टि की विशिष्टता की तुलना पहले मनुष्य और पैगंबर आदम से करते हैं।
“वस्तुतः ईश्वर के पास ईसा की मिसाल ऐसी ही है, जैसे आदम की। उसे (अर्थात, आदम को) मिट्टी से उत्पन्न किया, फिर उससे कहाः "हो जा" तो वह हो गया। (क़ुरआन 3:59)
यीशु ईश्वर के सबसे महान पैगंबरो में से एक बन गए, और उन्हें अपने पूर्ववर्ती पैगंबर मूसा की शिक्षाओं की पुष्टि करने के लिए इस्राईल के लोगों के पास भेजा गया। उनका जन्म एक चमत्कार था, और ईश्वर के सभी पैगंबरो की तरह, उन्हें कई चमत्कार दिए गए थे। उन्होंने अपने लोगों के पास जाकर उनसे कहा:
"और फिर वह बनी इस्राईल का एक दूत होगा (और कहेगाः) कि मैं तुम्हारे पालनहार की ओर से निशानी लाया हूँ। मैं तुम्हारे लिए मिट्टी से पक्षी के आकार के समान बनाऊँगा, फिर उसमें फूंक दूंगा, तो वह ईश्वर की अनुमति से पक्षी बन जायेगा और ईश्वर की अनुमति से जन्म से अंधे तथा कोढ़ी को स्वस्थ कर दूंगा और मुर्दों को जीवित कर दूंगा तथा जो कुछ तुम खाते तथा अपने घरों में संचित करते हो, उसे तुम्हें बता दूंगा। निःसंदेह, इसमें तुम्हारे लिए बड़ी निशानियाँ हैं, यदि तुम विश्वास करने वाले हो। तथा मैं उसकी सिध्दि करने वाला हूं, जो मुझसे पहले की है 'तौरात'। तुम्हारे लिए कुछ चीज़ों को हलाल (वैध) करने वाला हूं, जो तुमपर ह़राम (अवैध) की गयी हैं तथा मैं तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की निशानी लेकर आया हूं। अतः तुम ईश्वर से डरो और मेरे आज्ञाकारी हो जाओ। वास्तव में, ईश्वर मेरा और तुम सबका पालनहार है। अतः उसी की वंदना) करो। यही सीधी डगर है।" (क़ुरआन 3:49-51)
क़ुरआन उनके जीवन और उनके शिष्यों की कई घटनाओं से संबंधित यीशु की कहानी को जारी रखता है।
"तथा जब यीशु ने उनसे कुफ़्र का संवेदन किया, तो कहाः ईश्वर के धर्म की सहायता में कौन मेरा साथ देगा? तो शिष्यों ने कहाः हम ईश्वर के सहायक हैं। हम ईश्वर पर विश्वास करते हैं, तुम इसके साक्षी रहो कि हम मुस्लिम (आज्ञाकारी) हैं। हे हमारे पालनहार! जो कुछ तूने उतारा है, हम उसपर विश्वास करते हैं तथा तेरे दूत का अनुसरण करते हैं, अतः हमें भी साक्षियों में अंकित कर ले। (क़ुरआन 3:52-53)
एक अन्य घटना, जिसके बाद इसे क़ुरआन में एक पूरे सूरह (अध्याय) का नाम दिया गया, यीशु के शिष्यों ने उनसे एक और चमत्कार के लिए कहा।
"जब शिष्यों ने कहाः हे मरयम के पुत्र ईसा! क्या तेरा पालनहार ये कर सकता है कि हमपर आकाश से थाल उतार दे? उस (ईसा) ने कहाः तुम ईश्वर से डरो, यदि तुम वास्तव में विश्वास करने वाले हो। उन्होंने कहाः हम चाहते हैं कि उसमें से खायें और हमारे दिलों को संतोष हो जाये तथा हमें विश्वास हो जाये कि तूने हमें जो कुछ बताया है, सच है और हम उसके साक्षियों में से हो जायेँ। मरयम के पुत्र ईसा ने प्रार्थना कीः हे ईश्वर, हमारे पालनहार! हमपर आकाश से एक थाल उतार दे, जो हमारे तथा हमारे पश्चात् के लोगों के लिए उत्सव (का दिन) बन जाये तथा तेरी ओर से एक चिन्ह (निशानी)। तथा हमें जीविका प्रदान कर, तू उत्तम जीविका प्रदाता है।" (क़ुरआन 5:112-114)
ईश्वर ने उन्हें वह थाल भेजी जो उन्होंने मांगी थी, लेकिन चेतावनी के साथ।
"ईश्वर ने कहाः मैं तुमपर उसे उतारने वाला हूं, फिर उसके पश्चात् भी जो अविश्वास करेगा, तो मैं निश्चय उसे दण्ड दूंगा, ऐसा दण्ड कि संसार वासियों में से किसी को, वैसी दण्ड नहीं दूंगा।" (क़ुरआन 5:115)
यीशु की कहानी वास्तव में क़ुरआन में कभी समाप्त नहीं होती है, जैसा कि हमें बताया गया है कि यीशु को नहीं मारा गया था, बल्कि ईश्वर ने अपने प्रिय पैगंबर को अपने पास उठा लिया था।
"जब ईश्वर ने कहाः हे ईसा! मैं तुझे पूर्णतः लेने वाला तथा अपनी ओर उठाने वाला हूं तथा तुझे अविश्वासियों से पवित्र (मुक्त) करने वाला हूं तथा तेरे अनुयायियों को प्रलय के दिन तक अविश्वासियों के ऊपर करने वाला हूं। फिर तुम्हारा लौटना मेरी ही ओर है। तो मैं तुम्हारे बीच उस विषय में निर्णय कर दूंगा, जिसमें तुम विभेद कर रहे हो। फिर जो अविश्वासी हो गये, उन्हें लोक-प्रलोक में कड़ी यातना दूंगा तथा उनका कोई सहायक न होगा। तथा जिन्होंने विश्वास किया और सदाचार किया, तो उन्हें उनका भरपूर प्रतिफल दूंगा तथा ईश्वर अत्याचारियों से प्रेम नहीं करता।” (क़ुरआन 3:55-57)
क़ुरआन यह भी बताता है कि यीशु को ना तो मारा गया और ना ही सूली पर चढ़ाया गया। इस्राईल के बच्चों के बारे में बोलते हुए, ईश्वर ने मरयम के खिलाफ उनके आरोपों के साथ-साथ उनके इस दावे को भी गलत ठहराया कि उन्होंने यीशु को मार डाला।
"तथा उनके अविश्वास और मरयम पर घोर आरोप लगाने के कारण। तथा उनके कहने के कारण कि हमने ईश्वर के दूत, मरयम के पुत्र, ईसा मसीह़ का वध कर दिया, जबकि वास्तव में उसे वध नहीं किया और न सलीब (फाँसी) दी, परन्तु उनके लिए इसे संदिग्ध कर दिया गया। निःसंदेह, जिन लोगों ने इसमें विभेद किया, वे भी शंका में पड़े हुए हैं और उन्हें इसका कोई ज्ञान नहीं, केवल अनुमान के पीछे पड़े हुए हैं और निश्चय उसे उन्होंने वध नहीं किया है। बल्कि ईश्वर ने उसे अपनी ओर आकाश में उठा लिया है तथा ईश्वर प्रभुत्वशाली तत्वज्ञ है।” (क़ुरआन 4:156-158)
क़ुरआन इस बात की पुष्टि करता है कि यीशु को ईश्वर द्वारा उठाया गया था, और पैगंबर मुहम्मद (ईश्वर की दया और कृपा उन पर बनी रहे) ने हमें आश्वस्त किया कि न्याय के दिन से पहले यीशु को एक बार फिर पृथ्वी पर भेजा जाएगा। पैगंबर मुहम्मद की एक कहावत में, अबू हुरैरा द्वारा वर्णन किया गया, पैगंबर ने कहा:
"उसकी कसम जिसके हाथ में मेरी आत्मा है, निश्चित रूप से मरियम का पुत्र जल्द ही आपके बीच एक न्यायी न्यायाधीश के रूप में उतरेगा, और वह क्रूस को तोड़ देगा, सुअर को मार डालेगा, और जजिया (श्रद्धांजलि) को समाप्त कर देगा, और धन इतना अधिक होगा कि कोई उसे ग्रहण न करेगा, जब तक कि एक भी सज्दा दुनिया और उसमें की हर चीज से बेहतर न हो। ” (सहीह अल बुखारी)
आपकी पसंदीदा सूची खाली है। आप लेख टूल का उपयोग करके इस सूची में लेख डाल सकते हैं।
आपकी इतिहास सूची खाली है।
पंजीकरण क्यों? इस वेबसाइट में विशेष रूप से आपके लिए कई अनुकूलन हैं, जैसे: आपका पसंदीदा, आपका इतिहास, आप जो लेख पहले देख चुके है उनको चिह्नित करना, आपके अंतिम बार देखने के बाद प्रकाशित लेखों को सूचीबद्ध करना, फ़ॉन्ट का आकार बदलना, और बहुत कुछ। ये सुविधायें कुकीज़ पर आधारित हैं और ठीक से तभी काम करेंगी जब आप एक ही कंप्यूटर का उपयोग करेंगे। किसी भी कंप्यूटर पर इन सुविधाओं को चालू करने के लिए आपको इस साइट को ब्राउज़ करते समय लॉगिन करना होगा।
कृपया अपना उपयोगकर्ता नाम और ईमेल पता दर्ज करें और फिर "पासवर्ड भेजें" बटन पर क्लिक करें। आपको शीघ्र ही एक नया पासवर्ड भेजा जायेगा। साइट पर जाने के लिए इस नए पासवर्ड का इस्तेमाल करें।
टिप्पणी करें